शुक्रवार, 1 जून 2012

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन.




ऐसी लागी लगन, ऐसी लागी लगन...
लागी लागी रे लगन, लागी लागी रे लगन...
ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...

... ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...
महलों में पली, बन कर जोगन चली...
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी...

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...

कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं...
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी...
कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं...
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी...

बैठी संतो के संग, रंगी मोहन के रंग...
मीरा प्रेमी प्रियतम को मनाने लगी...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...
महलों में पली, बन कर जोगन चली...
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी...

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी..

राणा ने विष दिया, मानो अमृत पीया...
मीरा सागर में सरिता समाने लगी...
राणा ने विष दिया, मानो अमृत पीया...
मीरा सागर में सरिता समाने लगी...

दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे...
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी...
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी...

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...
महलों में पली, बन कर जोगन चली...
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी...

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन...
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...

ठुमक चलत श्रीरामचन्द्र

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ॥

किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय ।
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ॥

अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि ।
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ॥

विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर ।
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ॥

तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद ।
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ॥