गुरुवार, 19 अगस्त 2010

एक नन्हा पौधा

एक बीज था गया बहुत ही गहराई में बोया
उसी बीज के अंतर में था नन्हा पौधा सोया

उस पौधे को मंद पवन ने आकर पास जगाया
नन्ही नन्ही बूंदों ने फिर उस पर जल बरसाया

सूरज बोला "प्यारे पौधे" ,निद्रा दूर भगाओ
अलसाई आँखें खोलो तुम उठकर बहार आओ

आँख खोल कर नन्हे पौधे ने तब ली अंगड़ाई
एक अनोखी नयी शक्ति सी उसके मन में आई

नींद छोड़ आलस्य त्याग कर पौधा बाहर आया
बहार का संसार बड़ा ही अद्भुत उसने पाया.

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